
जगन्नाथ रथ यात्रा भारत के ओडिशा राज्य के पुरी शहर में हर साल बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। यह भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की खास यात्रा होती है।
🌿 रथ यात्रा कब होती है?
जगन्नाथ रथ यात्रा हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि (जून–जुलाई) में आयोजित होती है। 2025 में यह यात्रा भी भव्य रूप में मनाई जाएगी।
🌿 रथ यात्रा क्यों मनाई जाती है?
कहानी के अनुसार भगवान जगन्नाथ सालभर मंदिर में निवास करते हैं। इस पवित्र अवसर पर वे अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ रथ पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर जाते हैं, जिसे उनकी मौसी का घर माना जाता है। सात दिन वहां रुकने के बाद वे वापस अपने मुख्य मंदिर लौटते हैं।

🙏 यह परंपरा हजारों साल पुरानी है। मान्यता है कि रथ यात्रा में रथ का दर्शन या उसका एक रस्सी से खींचना भी पुण्यदायी होता है। इससे मन के पाप मिट जाते हैं और भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
🌿 रथ यात्रा की विशेषताएं:
✅ भगवान जगन्नाथ का रथ करीब 45 फीट ऊंचा और 16 पहियों वाला विशाल रथ होता है।
✅ बलभद्र और सुभद्रा के लिए भी अलग–अलग रथ बनाए जाते हैं।
✅ लकड़ी से बने ये रथ हर साल नए बनाए जाते हैं।
✅ रथ खींचने के लिए हजारों भक्त एक साथ जुटते हैं।
🌿 रथ यात्रा का संदेश:
यह पर्व सिखाता है कि भगवान सबके हैं। कोई भेदभाव नहीं – अमीर–गरीब, ऊंच–नीच, किसी का भेद नहीं। सभी भक्त भगवान की सेवा और दर्शन का समान अधिकार रखते हैं। यही सच्ची भक्ति का प्रतीक है।
🌿 रथ यात्रा के लाभ और आस्था:
✨ रथ यात्रा में भाग लेने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
✨ माना जाता है कि इस यात्रा में शामिल होने से जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त होते हैं।
✨ भगवान जगन्नाथ की कृपा से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

🌺 निष्कर्ष:
पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था और श्रद्धा का उत्सव है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि भगवान के दरबार में सभी बराबर हैं और भक्ति में ही सच्चा सुख है।
🙏आइए, इस रथ यात्रा में भी शामिल होकर भगवान जगन्नाथ जी के चरणों में अपना प्रेम और श्रद्धा अर्पित करें।