
🧠 परिचय: कौन हैं प्रशांत किशोर?
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) एक मशहूर चुनावी रणनीतिकार और जनसुराज अभियान के संस्थापक हैं। वे कई राज्यों में चुनावी जीत दिला चुके हैं — चाहे वह मोदी का 2014 अभियान हो या ममता बनर्जी की 2021 की विजय।
अब उनकी निगाह बिहार चुनाव 2025 पर है, जहाँ वे पहली बार सक्रिय राजनीति में उतरकर सीधा मुकाबला करने की तैयारी में हैं।
🚶♂️ जनसुराज यात्रा: बदलाव की शुरुआत
प्रशांत किशोर ने 2022 में जनसुराज यात्रा शुरू की थी। इसका मकसद था जनता से जुड़ना, उनकी समस्याएं समझना और एक वैकल्पिक राजनीतिक विकल्प खड़ा करना।
🔍 इस यात्रा की खास बातें:
4000+ किलोमीटर की पदयात्रा
200+ प्रखंडों का दौरा
गाँव-गाँव में सीधी बातचीत
जातिवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम
📊 बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर का असर
बिहार की राजनीति पारंपरिक रूप से जातीय समीकरणों और बड़े गठबंधनों पर टिकी रही है — जैसे NDA, महागठबंधन आदि। प्रशांत किशोर एक नई राजनीतिक सोच लेकर आ रहे हैं।
📌 संभावित प्रभाव:
युवा और पढ़े-लिखे वोटर्स में पकड़
Anti-Incumbency को भुना सकते हैं
साफ़ छवि और ग्राउंड कनेक्ट
Third Front के रूप में उभरने की संभावना
🗳️ बिहार चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की रणनीति
1. वोट बैंक टारगेटिंग:
PK युवाओं, किसानों और मध्यम वर्ग को खास टारगेट कर रहे हैं।
2. डिजिटल कैंपेनिंग:
सोशल मीडिया, WhatsApp नेटवर्क, और माइक्रो टारगेटिंग से जनसंपर्क मजबूत कर रहे हैं।
3. गठबंधन या अकेले चुनाव?
अभी तक संकेत यही मिल रहे हैं कि प्रशांत किशोर अपनी पार्टी बनाकर अकेले चुनाव लड़ सकते हैं।
🔮 2025 में क्या प्रशांत किशोर करेंगे चमत्कार?
प्रशांत किशोर के पास अनुभव और रणनीति दोनों हैं, लेकिन बिहार की राजनीति जमीनी स्तर पर बहुत जटिल है। उनका सबसे बड़ा चैलेंज होगा:
स्थायी संगठन खड़ा करना
विश्वसनीय चेहरों को टिकट देना
जनता का विश्वास जीतना
अगर वे ये तीनों कर पाए, तो 2025 में बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो सकता है।
📌 निष्कर्ष:
बिहार चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की एंट्री ने सियासी माहौल को गर्मा दिया है। क्या वह NDA और महागठबंधन के बीच तीसरे विकल्प के रूप में उभरेंगे? यह आने वाला समय बताएगा, लेकिन इतना तय है कि बिहार की राजनीति में यह चुनाव बहुत कुछ बदल सकता है।