
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29–30 अगस्त 2025 को जापान की यात्रा पर हैं, जहाँ वे India–Japan Annual Summit में हिस्सा ले रहे हैं। इसके तुरंत बाद 31 अगस्त–1 सितम्बर 2025 को वे चीन में आयोजित SCO Summit में भाग लेंगे। यह दौरे भारत की विदेश नीति और वैश्विक रणनीति के लिहाज़ से बेहद अहम माने जा रहे हैं।
🔹 जापान दौरा: तकनीक 🤖 और रक्षा साझेदारी 🛡️
- जापान और भारत के बीच हाई-टेक, क्लीन एनर्जी ⚡ और डिफेंस के क्षेत्र में बड़े समझौते होने की उम्मीद है।
- जापान भारत में सेमीकंडक्टर फैक्ट्री 💻 और इलेक्ट्रिक व्हीकल 🚗 में निवेश करने जा रहा है।
- दोनों देश “फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक 🌊” रणनीति पर साथ खड़े हैं।
👉 इससे भारत को वैश्विक सप्लाई चेन 🏭 में एक मजबूत स्थान मिलेगा।
🔹 चीन दौरा: SCO सम्मेलन 🤝 और रिश्तों में नया मोड़
- मोदी जी का यह 7 साल बाद पहला चीन दौरा ⏳ है।
- SCO (शंघाई सहयोग संगठन) सम्मेलन में मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 🇨🇳 और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 🇷🇺 एक ही मंच पर होंगे।
- चर्चा के मुख्य मुद्दे: व्यापार 💹, सीमा विवाद 🗺️, ऊर्जा सुरक्षा ⛽ और क्षेत्रीय शांति 🕊️।
- हाल ही में भारत-चीन संबंधों में नरमी आई है—फ्लाइट्स ✈️ दोबारा शुरू हुईं और संवाद आगे बढ़ा है।
👉 यह दौरा दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य करने की बड़ी कोशिश है।
🔹 अमेरिका के टैक्स 💰 और भारत की रणनीति 🪖
- अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ 📉 लगा दिया है, जिससे रुपया 💱 कमजोर हुआ और शेयर बाजार 📊 हिला।
- ऐसे माहौल में मोदी का जापान और चीन दौरा दिखाता है कि भारत अपने व्यापार और कूटनीति को विविध (Diversify) करना चाहता है!
🌍 भारत के लिए क्या मायने?
1️⃣ जापान के साथ साझेदारी = टेक्नोलॉजी + डिफेंस में बढ़त 🚀
2️⃣ चीन दौरा = व्यापार और क्षेत्रीय शांति के नए विकल्प 🤝
3️⃣ SCO सम्मेलन = रूस, चीन और मध्य एशिया के साथ मजबूत उपस्थिति 🌐
4️⃣ अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति 🪷 पर डटा है।
✨ निष्कर्ष
मोदी जी का यह एशिया दौरा सिर्फ एक कूटनीतिक यात्रा नहीं, बल्कि यह संदेश है कि भारत अब वैश्विक राजनीति में अपनी जगह एक आत्मनिर्भर और ताकतवर राष्ट्र 🇮🇳 के रूप में बना रहा है।