Perplexity AI के सह-संस्थापक और सीईओ अरविंद श्रीनिवास ने हाल ही में अरबों यूज़र्स के जीवन से जुड़े Google Chrome ब्राउज़र को खरीदने के लिए $34.5 बिलियन (करीब ₹2.8 लाख करोड़) का साहसी प्रस्ताव पेश किया है। यह प्रस्ताव न केवल निवेश की दृष्टि से चौंकाने वाला है, बल्कि यह AI के नए युग में एक उत्साहजनक रणनीतिक कदम भी माना जा रहा है।
अरविंद श्रीनिवास का सफर:
शैक्षणिक पृष्ठभूमि
अरविंद श्रीनिवास का जन्म चेन्नई (पहले मद्रास) में हुआ था। उन्होंने IIT मद्रास से B.Tech और M.Tech की डिग্রি हासिल की और बाद में University of California, Berkeley से कम्प्यूटर विज्ञान में Ph.D. किया। Wikipediaव्यावसायिक सफर
OpenAI, Google Brain और DeepMind जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम करने के बाद, वे 2022 में Perplexity AI के सह-संस्थापक बने। उनकी कंपनी ने conversational search के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।
Chrome अधिग्रहण प्रस्ताव: मुख्य बिंदु
$34.5 बिलियन का प्रस्ताव
Perplexity AI ने Google Chrome को खरीदने के लिए $34.5 बिलियन का unsolicited all-cash ऑफर भेजा। यह राशि कंपनी की अपनी $14–18 बिलियन वैल्यूएशन से काफी अधिक है।प्रस्ताव की विशेषताएँ
प्रस्ताव में शामिल हैं:$3 बिलियन का निवेश (दो वर्षों में Chrome के विकास और सपोर्ट के लिए)
Chrome को open-source बनाए रखना (Chromium पर आधारित)
मुख्य Chrome कर्मचारियों को बनाए रखना
Google को default search engine बनाए रखना
Longevity सुनिश्चित करने हेतु 100-month post-sale सेवा वचनबद्धता भी शामिल है।
विपरीत प्रतिक्रिया और आलोचना
कई लोग इसे एक PR stunt या “अत्यंत महत्वाकांक्षी” पोस्टर मूव मान रहे हैं, जिसमें Twitter जैसे प्लेटफॉर्म पर trolling का मिज़ाज दिखाई दिया।कानूनी पृष्ठभूमि
यह प्रस्ताव एक ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी कोर्ट ने Google पर एंटीट्रस्ट कार्यवाही में Chrome को विभाजित करने की सिफारिश की है। लेकिन Google इसका विरोध कर रहा है और appeal करने की तैयारी में है। ऐसे में यह प्रस्ताव नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
क्या यह प्रस्ताव सिर्फ एक PR चाल है?
Fortune की रिपोर्ट में इसे “long shot” बताया गया है, क्योंकि Alphabet (Google की पैरेंट कंपनी) Chrome को आसानी से नहीं बेचेगी। Fortune
Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, Perplexity की valuation $14 बिलियन के आसपास है और यह अपने $34.5 बिलियन के प्रस्ताव को unnamed फंड्स के जरिए फाइनेंस करने का दावा करती है—लेकिन Google ने इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। Reuters
ब्लॉग के मुख्य संदेश
नया परिचय, नया सपना
अरविंद श्रीनिवास का यह कदम प्रतीत होता है कि AI कंपनियाँ अब सिर्फ टेक्नॉलजी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे वेब के मुख्य पोर्टल—जैसे कि ब्राउज़र—पर भी कंट्रोल चाहती हैं।यूज़र-केंद्रित दृष्टिकोण
प्रस्ताव में Chrome को ज़्यादा खुला और पारदर्शी बनाए रखने का वादा किया गया है—यह AI और वेब की दुनिया में प्रतिस्पर्धा और यूज़र की पसंद को संरक्षित रखने का संकेत देता है।AI + ब्राउज़र = एजेंट युग की शुरुआत
Perplexity पहले से ही “Comet” नामक AI-based browser (Chromium पर आधारित) पर काम कर रही है। उनका मानना है कि ब्राउज़र ही वे ऐसा इंटरफ़ेस है जहाँ AI एजेंट्स यथार्थ में उपयोगी बन सकते हैं।
निष्कर्ष
यह प्रस्ताव चाहे कितना भी धाँधली भरा, मनोरम या महत्वाकांक्षी लगे—एक तथ्य स्पष्ट है: Perplexity AI अब सिर्फ एक AI स्टार्टअप नहीं रही; वह AI-मेड वेब से जुड़ी ताकतों में शामिल हो गई है।
अरविंद श्रीनिवास जैसे उद्यमी वैश्विक स्ट्रेटेजी, तकनीक, और दृश्यता को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं—जिससे यह क्षेत्र और अधिक गतिशील, अवसरपूर्ण और विवादास्पद बन गया है।
यह प्रस्ताव हमें यह सोचने पर मजबूर कर रहा है—क्या वास्तव में अगली जंग ‘AI एजेंट्स vs क्लासिक टेक्नॉलजी’ में होगी? और क्या ब्राउज़र ही नए युग का युद्धक्षेत्र है?